उप्र : खेतों में सड़ गई फसल, मंत्री से नहीं मिल पाए किसान!

बांदा, 11 जनवरी (आईएएनएस)| बुंदेलखंड के बदहाल किसानों को ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ से उबारने के लिए बुंदेलखंड विकास बोर्ड द्वारा बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में हो रही राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला के दौरान केन नहर के पानी से जलमग्न हुए 200 बीघे से ज्यादा खेतों में फसल सड़ गई है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार अधिकारी किसानों की सुध लेने नहीं आया। पीड़ित किसानों को कृषि मंत्री से भी नहीं मिलने दिया गया।

बुंदेलखंड के बदहाल किसानों को ‘कर्ज’ और ‘मर्ज’ के दंश से उबारने के लिए सूबे की योगी सरकार भले ही पूरा दम लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बांदा जिले के अधिकारी उनके प्रयासों में पलीता लगाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। गुरुवार को सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण नहर की पटरियां दुरुस्त कराए बिना ही केन नहर में पानी छोड़ दिया गया और आधा दर्जन गांवों के किसानों की 200 बीघा से ज्यादा फसलें जलमग्न होकर सड़ गईं। इसमें खेत में कटी पड़ी धान और खेत में लहलहा रही गेहूं की फसल शामिल है।

किसानों को बड़ा ताज्जुब तब हुआ, जब बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में चल रही किसान कार्यशाला में मौजूद राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही से पीड़ित किसानों को मिलने तक नहीं दिया गया।

बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने शनिवार को बताया, “केन नहर प्रखंड के अधिकारियों ने गुरुवार को बिना नहर की पटरियां दुरुस्त किए ही भारी मात्रा में पानी छोड़ दिया, जिससे नरैनी क्षेत्र के दरगाही पुरवा, प्रेमपुर, केशरूआ और अंगद पुरवा के अलावा अतर्रा क्षेत्र के गोखिया, रहूसत, तिन्दुही सहित दर्जन भर गांवों के किसानों के 200 बीघा से ज्यादा खेत जलमग्न हो गए और धान की कटी पड़ी फसल एवं गेहूं के पौधे सड़ गए।”

शर्मा ने आरोप लगाया, “शुक्रवार को पीड़ित किसान सड़ी फसल के साथ बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में चल रही किसानों की राष्ट्रीय स्तर की दो द्विवसीय कार्यशाला में पहुंच कर राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही से मिलना चाह रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने उनसे मिलने तक नहीं दिया।”

अतर्रा डिग्री कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मिश्रा ने प्रभावित गांवों का दौरा करने के बाद आरोप लगाया कि “हाल ही में नहरों की कागज में सिल्ट सफाई हुई है। उसी गड़बड़ी को छिपाने के लिए अधिकारियों ने जल्दबाजी में नहर में पानी छोड़ दिया है, जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ।”

मिश्रा के मुताबिक, “केन नहर प्रखंड के अधिशासी अभियंता को नुकसान के बारे में अवगत कराया गया, लेकिन उनका जवाब था कि दो द्विवसीय कार्यशाला के बाद समझा जाएगा।”

प्रखंड के अधिशासी अभियंता अरविंद पांडेय ने कहा, “जलमग्न फसल के आंकलन के लिए अवर और सहायक अभियंता को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।”

बुंदेलखंड के किसानों की यह हालत तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाले बुंदेलखंड विकास बोर्ड ने बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में दो द्विवसीय (शुक्रवार, शनिवार) राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया है।