नई दिल्ली: 4 साल पहले इराक के मोसुल से अगवा हुए 39 भारतीय नागरिकों को आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मार दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में इसकी पुष्टि की। 2014 में भारत से मोसुल में काम करने गए मजदूरों को आतंकियों ने किडनैप कर लिया था। जब उन्होंने भागने की कोशिश की तो आतंकियों ने उन्हें घेरकर मार दिया था। मोसुल की आजादी के बाद मजदूरों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जनरल वीके सिंह इराक गए थे। किडनैप किए गए 40 भारतीयों में से एक हरजीत मसीह आतंकियों के चंगुल से बच निकला था। मसीह ने कहा था कि उसने बाकी भारतीयों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा था।
Deep penetration radar confirmed that all Indians were dead after all bodies were exhumed: EAM Sushma Swaraj in #RajyaSabha on 39 Indians kidnapped in Iraq’s Mosul pic.twitter.com/dhXxGLh0ar
— ANI (@ANI) March 20, 2018
पिछले साल सुषमा बोली थीं- बिना सबूत मृत घोषित नहीं करूंगी
– सुषमा ने कहा, “एक बहुत महत्वपूर्ण सूचना सदन को बताना चाहती हूं। जून 2015 में इराक में हमारे 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने बंधक बना लिया गया था।” सुषमा ने सदन में जून 2015 में किडनैप होने की बात कही, जबकि लोगों को 2014 में अगवा किया गया था।
– “पिछली बार सदन में 27 जुलाई 2017 में चर्चा हुई थी। बाजवा जी ने शून्यकाल में ये विषय उठाया था। अगले दिन (28 जुलाई) में सदन में जवाब देने आई थी।”
– “तब मैंने कहा था कि जब तक मेरे पास कोई सबूत नहीं होगा, तब तक उन्हें मृत घोषित नहीं करूंगी। बिना सबूत को किसी को मर गया कह देना पाप है और सरकार के लिए गैर-जिम्मेदाराना है। इसलिए न तो मैं गैर-जिम्मेदाराना काम करूंगी और न ही पाप करूंगी। लेकिन जिस भी दिन एक भी सबूत मिल गया, पक्का सबूत मिल गया और संसद का सत्र चल रहा होगा तो चेयर से अनुमति मांगकर कार्यवाही रुकवाकर सदन में जानकारी दूंगी। और अगर सत्र नहीं चल रहा होगा तो 10 मिनट के अंदर ट्विटर पर देश को जानकारी दूंगी।”
– “आज मैं वही वचनपूर्ति करने के लिए आई हूं। आज मेरे पास दोनों बातों के पक्के सबूत है। पहला- हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी। दूसरा- भारी मन से कह रही हूं कि वो लोग मार दिए गए हैं।”
– सुषमा स्वराज ने बताया, “मोसुल में लापता 39 लोग मारे गए। हरजीत ने मुझसे बात की थी। वो पंजाबी में बात कर रहा था। उसने बताया था कि आतंकियों ने सभी भारतीयों को सामने खड़े करके गोली मार दी। किसी को सिर में लगी तो किसी को सीने में। उसने खुद को पैर में गोली लगने की बात बताई।”
केटरर ने बताया था- वह हरजीत को अली बनाकर निकाल ले गया
– “हरजीत सच नहीं बोल रहा था, इसका सबूत ये है कि पिछली बार वीके सिंह इराक में खोजने के लिए गए तो मैंने कहा था कि सबसे पहले मोसुल जाकर कंपनी के मालिक से मिलना। आपको वहां कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे। उन्होंने अपनी यात्रा मोसुल से ही शुरू की।”
– “कंपनी के मालिक ने बताया कि उनके यहां 40 हिंदुस्तानी और कुछ बांग्लादेशी काम करते थे। जब आईएसआईएस ने मोसुल पर कब्जा करना शुरू किया तो सभी को वहां से निकल जाने को कहा। सबसे पहले इराकी नागरिक निकले, उसके बाद बाकी नेशनलिटीज के लोग निकल गए। लेकिन हिंदुस्तानी और बांग्लादेशी नहीं निकले।”
– “इसके बाद कंपनी मालिक ने केटरर को बुलाया जो उनको खाना खिलाता था। केटरर ने बताया कि एक दिन जब हिंदुस्तानी और बांग्लादेशी खाना खाने आ रहे थे तो उन्हें आईएसआईएस ने देख लिया। उन्होंने पूछा कि कौन हो। आतंकियों को हिंदुस्तानी और बांग्लादेशियों के बारे में बताया गया।”
– “उन्होंने कहा कि ये लोग यहां नहीं रहेंगे। इनको टेक्सटाइल फैक्ट्री ले जाओ। फैक्ट्री ले जाकर कहा कि हिंदुस्तानियों को अलग रख दो और बांग्लादेशियों को अलग। एक दिन उन्होंने कहा कि बांग्लादेशियों को इरबिल छोड़ आओ। केटरर ने बताया कि छोड़ने की जिम्मेदारी उसे दी गई। केटरर अपनी वैन में उन्हें इरबिल छोड़ने पर तैयार हो गया।”
– “पता नहीं हरजीत ने कुछ जुगाड़ किया, केटरर ने कंपनी के मालिक को कहा कि हरजीत को मुस्लिम नाम देकर बांग्लादेशियों के साथ निकाल दो। कंपनी मालिक ने कहा कि मेरे पास एक आदमी का फोन आया। उसने खुद को अली बताया। मालिक ने कहा कि मेरे यहां तो कोई अली नाम का लड़का काम ही नहीं करता। तो उसने कहा कि मैं वो हूं जिसको बांग्लादेशियों के साथ निकालना है।”
– “केटरर ने बताया कि वह अली बनाकर हरजीत को इरबिल छोड़कर आया।”
38 लोगों के डीएनए मैच हुए
– सुषमा ने कहा, “डीएनए टेस्ट में सबसे पहले संदीप नाम के लड़के का पता चला। 38 अन्य लोगों के डीएनए मैच होने के पता चला। एक लड़के के डीएनए इसलिए मैच नहीं हो पाया क्योंकि उसके माता-पिता नहीं थे।”
– “मैं विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह का शुक्रिया अदा चाहती हूं कि जिन्होंने काफी धैर्यपूर्वक इस अभियान को पूरा किया। वे बदूश गए। मुश्किल हालात में रहे, जमीन पर सोए। फिर बॉडी को बगदाद लेकर आए।”
कैसे लापता हुए थे 39 भारतीय?
– इराक में लापता हुए भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के रहने वाले थे। ये सभी मोसुल और इसके करीबी शहरों में मजदूरी के लिए गए थे।
– 2015 में इन्हें आईएस ने किडनैप किया था। आरोप है कि इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा गया और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया।