इरडा का ‘मोटर ऑन डैमेज’ सेग्मेंट के तहत इंश्योरेंस प्रोडक्ट की समीक्षा का प्रस्ताव

 नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने एक एक्सपोजर ड्राफ्ट पेश करते हुए मोटर इंश्योरेंस पॉलिसियों को अधिक बेहतर और सरल बनाने का प्रस्ताव दिया है।

  इस ड्राफ्ट में विभिन्न बदलावों की सिफारिश की गई है, जिससे उपभोक्ताओं को फायदा होगा। बीमा नियामक अपने इस ताजा प्रस्ताव के जरिये न सिर्फ वाहनों का प्रीमियम तय करना चाहता है, बल्कि मोटर ऑन डैमेज की रूपरेखा से संबंधित प्रोडक्ट की समीक्षा भी करना चाहता है। इन बदलावों में प्रस्ताव है कि इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी के साथ कुछ जानकारी स्पष्ट करनी चाहिए, जैसे वाहन का संपूर्ण नुकसान होने पर सम इंश्योर्ड यानी ग्राहक को दिए जाने वाले भुगतान, क्लेम के मामलों में कितना डेप्रिशिएशन (वाहन के पुर्जो के लिए) माना जाए, पानी घुसने के लिए इंजन डैमेज के लिए कवरेज और एक क्लेम किए जाने पर इंजन ऑइल, नट्स एवं बोल्ट्स जैसे नियमित लगने वाली चीजों की स्पष्टता होनी चाहिए।

सम इंश्योर्ड – वह राशि है जो वाहन के पूर्ण नुकसान (वाहन चोरी हो जाना या क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत खर्च सम इंश्योर्ड राशि का 75 प्रतिशत से अधिक होना) के मामले में ग्राहक को भुगतान की जाती है। इसे मोटर टैरिफ में इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू कहा गया है, जो पहले वाहन की एक्स शोरूम कीमत पर डेप्रिशिएशन लागू करते हुए निर्धारित किया जाता था।

बीमा विनियामक संस्था की शुरुआती योजना यह भी है कि मोटर इंश्योरेंस इंडस्ट्री में टेलीमैटिक्स को अपनाया जाए ताकि ग्राहकों द्वारा वाहन को जितना चलाया जाए उसके हिसाब से ही भुगतान करने का कॉन्सेप्ट को बढ़ावा दिया जा सके। अपने ताजा एक्सपोजर ड्राफ्ट में इरडा ने यह भी साफ किया है कि इंश्योरेंस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया डेटा संग्रह का काम करेगा और डेटा स्टोर करने के साथ ही इसका स्वामित्व उसके पास रहेगा।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय बाजार में इस पहल की शुरुआत कैसे की जाती है। बीमा नियामक यह भी चाहता है कि इंश्योरेंस कंपनियों को जालसाजी की घटनाओं को पकड़ने में मदद की जाए, जिसके लिए पूरे नुकसान के मामलों में 24 घंटे के अंदर क्लेम की सूचना, सम इंश्योर्ड में अनिवार्य डिडक्टेबल को जोड़ना आदि जैसे कदम उठाए जाएंगे।