इंदौर में 11 मरीजों की आंख की रोशनी गई, जांच के आदेश (लीड-1)

इंदौर, 17 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में ‘आंख फोड़वा कांड’ दोहराया है। इस बार इंसानों की आंख से खिलवाड़ इंदौर के अस्पताल में हुआ। यहां मोतियाबिद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई। सरकार ने मामले के जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीड़ित मरीजों की हर संभव मदद करने और हर प्रभावित मरीज को 50 हजार रुपये की सहायता राशि देने के निर्देश हैं। राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत इंदौर के आंख अस्पताल में 8 अगस्त को मोतियाबिद ऑपरेशन शिविर लगाया गया था। ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंख में जो दवा डाली गई, उससे उन्हें संक्रमण हुआ और धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी चली गई।

मरीजों ने डॉक्टरों को बताया कि उन्हें सिर्फ काली छाया दिखाई दे रही है। जांच के बाद डॉक्टरों ने भी माना कि मरीजों की आंख में इन्फेक्शन हो गया है, लेकिन इसका कारण वे नहीं बता सके।

इस अस्पताल का संचालन एक ट्रस्ट करता है। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर दिया है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट में कहा, “इंदौर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंख की रोशनी धूमिल होने की घटना बेहद दुखद, कलेक्टर को जांच के निर्देश। नौ वर्ष पूर्व इसी हॉस्पिटल में हुई घटना के बाद भी कैसे हॉस्पिटल को वापस अनुमति प्रदान की गई, जांच कर प्रबंधन व दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।”

मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “सभी पीड़ित मरीजों को अन्य अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने से लेकर मरीजों की हरसंभव मदद करने के निर्देश। इन सभी मरीजों के उपचार का खर्च शासन द्वारा वहन करने के साथ ही प्रत्येक प्रभावित मरीज को 50-50 हजार की सहायता प्रदान करने के निर्देश।”

स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने शनिवार को घटना पर दुख जताया। मंत्री ने स्वीकार किया कि आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई है। इनकी आंख की रोशनी वापस लाने के लिए चेन्नई से चिकित्सकों को बुलाया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर पूरे मामले की जांच इंदौर कमिश्नर की अगुवाई में सात सदस्यीय कमेटी करेगी, जिसमें इंदौर के कलेक्टर समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही हर पीड़ित परिवार को 20 हजार रुपये की तत्काल मदद दी जाएगी। वहीं, पूरे मामले पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी संज्ञान लिया है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद राकेश सिह ने एक बयान जारी कर कहा कि अस्पताल की लापरवाही के कारण 11 लोगों को अपनी आंख की रोशनी गंवानी पड़ी है। उनमें से अधिकांश गरीब परिवारों के लोग हैं, जिनके लिए आंखें खराब हो जाने के बाद गुजारा करना या अपनी जिदगी चलाना भी मुश्किल हो जाएगा। ऑपरेशन करने वाले अस्पताल का केवल लाइसेंस रद्द किए जाने से इन मरीजों को आंखें ठीक नहीं होने वाली। इसलिए सरकार को प्रत्येक मरीज को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए, ताकि इस राशि से वे अपने भविष्य का इंतजाम कर सकें।

इसी अस्पताल में साल 2010 में मोतियाबिद के ऑपरेशन के बाद करीब 20 लोगों की आंख की रोशनी चली गई थी। इस बार फिर अस्पताल में कैंप लगाया गया और इन्फेक्शन के कारण मरीजों की आंख की रोशनी चली गई। मरीजों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद उनकी आंख की रोशनी धीरे-धीरे चली गई और इस बारे में डॉक्टर कुछ नहीं कह रहे हैं।