आज़ाद भारत में पहली बार किसने राजकीय सम्मान से ली थी विदाई?

श्रीदेवी के शव को तिरंगे में लिपटा देखकर सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गई। कई लोगों ने सवाल किया कि क्या वाकई इसकी ज़रूरत थी? दरअसल श्रीदेवी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था, इसलिए उनका शव तिरंगे में लिपटा हुआ था। राजकीय सम्मान क्या होता है, कैसे तय किया जाता है कि किसे यह सम्मान देना है, कौन इसका फैसला लेता है? ये कुछ सवाल हैं, जो अभी भी लोगों को विचलित किए हुए हैं। इनके जवाब देने से पहले हम आपको उस महान हस्ती के बारे में बताते हैं जिसे स्वतंत्र भारत में मृत्यु पश्चात् पहली बार राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया था।

बताया जाता है कि स्वतंत्र भारत का पहला राजकीय सम्मान वाला अंतिम संस्कार महात्मा गांधी का था। उस दौर में इसे लेकर कुछ खास नियम नहीं थे, लेकिन वक्त के साथ-साथ नियमों का ढांचा तैयार किया जाता रहा। मौजूदा वक्त में इसके लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए गए हैं, साथ ही राज्य सरकारें भी अपने हिसाब से इस पर फैसला ले सकती हैं।

क्या होता है राजकीय सम्मान

यदि किसी व्यक्ति को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाती है, तो उसका पूरा इंतजाम राज्य का केंद्र सरकार की तरफ से किया जाता है। इसके तहत लेकर शव को तिरंगे में लपेटा जाता है और बंदूकों की सलामी दी जाती है।

किसे दिया जाता है

भारत में वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों को राजकीय सम्मान दिया जाता है। राजनीति, साहित्य, विज्ञान, कानून और कला क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली हस्तियों के साथ ही भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण प्राप्त शख्स भी इसके हक़दार हो सकते हैं। इसके अलावा अगर केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो वह देश के किसी भी सम्मानित व्यक्ति को यह सम्मान दिला सकती हैं।

कौन लेता है फैसला 

आमतौर पर इसका फैसला राज्य का मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट के साथियों से विचार-विमर्श के बाद लेता है। फैसला हो जाने पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों जैसे कि पुलिस कमिश्नर आदि को इसके बारे में सूचना दी जाती है। इन पुलिस अधिकारियों पर ही राजकीय सम्मान की तैयारी करने का ज़िम्मा होता है।

कुछ प्रमुख हस्तियां, जिन्हें यह सम्मान मिला

महात्मा गांधी, मदर टेरेसा, भीमसेन जोशी, बाल ठाकरे, सरबजीत सिंह, एयर मार्शल अर्जुन सिंह, शशि कपूर, श्रीदेवी।