आतंकवादियों का पुणे कनेक्शन फिर उजागर

पिम्परी : पुणे समाचार ऑनलाइन

बीते दिन पुणे एटीएस ने पुणे व पिम्परी चिंचवड़ में मुहिम चलाकर तीन बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जो भारत में बिना किसी वैध प्रमाण यक कागजात के रह रहे थे। एटीएस को इन तीनों के बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रतिबंधित एबीटी (अंसारुल्लाह बांग्ला टीम) के सदस्य रहने का संदेह है, जोकि कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा के लिए कार्यरत है। एटीएस की इस कार्रवाई और इससे पहले पुणे में हुई आतंकी गतिविधियों के चलते आतंकवादियों का पुणे कनेक्शन फिर उजागर हो गया है।

गत कुछ सालों में पुणे व पिम्परी चिंचवड़ का विस्तार काफी तेजी से हुआ है। ब्रिटिश काल से ही पुणे में कई रक्षा संस्थान, रिसर्च व शैक्षिक संस्थानों की स्थापना हुई है। सेना का दक्षिण मुख्यालय भी पुणे में है। शिक्षा का मायका, ऑटोमोबाइल व आईटी हब जैसी कई उपमाओं से पहचाने जाने वाले पुणे में शिक्षा व रोजगार के लिए न केवल देश के कोने कोने से बल्कि विदेशों से भी काफी छात्र व युवा आते हैं। खुशनुमा मौसम के चलते काफी लोग पुणे में बसना पसंद करते हैं। हांलाकि बीते 15-20 सालों से पुणे को आतंकी गतिविधियों का ग्रहण सा लग रहा है। पुणे में बम विस्फोट की घटनाओं से पुणे आतंकवादियों की रडार पर रहने की बात लगातार साबित हुई है। आतंकवाद व नक्सलियों को मदद करनेवाले कई लोग यहां हैं। इसके चलते जांच व सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर हमेशा पुणे की गतिविधियों पर रहती है।

पुणे और पिंपरी चिंचवड शहरों के तेजी से होते विस्तार से यहां की आबादी 70 लाख पार कर गई है। शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय के लिए देश के विभिन्न राज्यों से आकर लोग यहां बसे हैं। तेजी से होता विस्तार, विकास और बढ़ती आबादी बढ़ते अपराध के लिए जिम्मेदार रहने के साथ ही यह शहर आतंकी संगठनों की रडार पर आ गया है। सिमी, इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठनों की जड़ें सलीके से फैलाई औऱ मजबूत की गई है। तकरीबन 10 साल पहले देश के प्रमुख शहरों में बम विस्फोट कराए गए, तब इंडियन मुजाहिदीन ने जांच एजेंसियों को ईमेल भेजकर इसकी जिम्मेदारी स्वीकारी थी। इस कार्रवाई में मुस्लिम समाज के कई सुशिक्षित युवाओं को घसीटा गया था। 2008 में मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त आयुक्त राकेश मारिया को पुणे में इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल कार्यरत रहने की जानकारी मिली थी। तब कोंढ़वा की अशोका म्युझ नामक सोसायटी के एक फ्लैट पर छापेमारी कर मुंबई पुलिस की टीम ने 8 लोगों को गिरफ्तार किया था। उनसे देशभर में हुए बम विस्फोट के सूत्रधार रियाज भटकल, जो न केवल देश बल्कि विदेशों की जांच एजेंसियों की नजर में मोस्ट वांटेड आतंकी है, के पुणे कनेक्शन की बात सामने आई थी। भटकल और उसके साथी पुणे में रहते थे यह भी जांच में सामने आया। उन्होंने कोंढ़वा के इस फ्लैट में मीडिया सेल शुरू किया था और यहीं से देश भर में आतंकी हमलों की साजिश रचने और प्रचार पत्र प्रसारित किए जाने की बात भी उजागर हुई।

भटकल और मोहसिन अब तक नदारद

इसके बाद पुणे के संभ्रांत इलाकों में शुमार कोरेगांव पार्क इलाके की जर्मन बेकरी में भीषण बम विस्फोट कराया गया। इसके पीछे भी रियाज भटकल, यासीन भटकल का हाथ रहने की जानकारी उजागर हुई थी। एटीएस की जांच में इस बम विस्फोट का कनेक्शन मराठवाडा तक रहने की बात सामने आई। जर्मन बेकरी के बाद जंगली महाराज रोड, फरासखाना पुलिस थाना इलाके में विस्फोट कराए गए। इसमें स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी भी उजागर हुई। इन धमाकों के आरोपियों के पुणे में रहने की जानकारी सामने आई। रियाज भटकल का साथी मोहसिन चौधरी भी कोंढवा में रहता था। उसकी सहभागिता उजागर होने के बाद वह पुणे से फरार हो गया। मोहसिन व रियाज भटकल कहाँ है? जांच एजेंसियों को यह आज तक पता नहीं चल सका।

नक्सली गतिविधियों को मदद

आतंकी गतिविधियों के साथ ही नक्सली गतिविधियों को भी पुणे से हमेशा मदद मिलती रही है। तलेगांव से मोस्ट वांटेड नक्सली को एटीएस ने धरदबोचा था। देशभर में चल रही नक्सली गतिविधियों का मुख्य सूत्रधार गणपति का वह साथी था। आतंकी व नक्सली संगठनों के स्लीपर सेल पुणे व पिम्परी चिंचवड़ के विविध हिस्सों में कार्यरत हैं। इनकी जड़ें तलाश कर उन्हें उखाड़ फेंकना सुरक्षा व जांच एजेंसियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।