आईयूसी खत्म करने की समयसीमा बढ़ाना गरीबों के हक में नहीं : जियो

 नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)| रिलायंस जियो ने मौजूदा इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) व्यवस्था को एक जनवरी 2020 से आगे बढ़ाने पर उद्योग की राय जानने के लिए नया परामर्श पत्र (कंसल्टेशन पेपर) जारी करने को लेकर दूरसंचार विनियामक ट्राई की आलोचना करते हुए कहा कि इसे जारी रखना गरीबों के हक में नहीं है।

  रिलायंस जियो ने कहा है कि ट्राई द्वारा आईयूसी पर जारी कंसल्टेशन पेपर प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को तोड़ने वाला है।

जियो ने आईयूसी को खत्म करने की समयसीमा से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को मनमाना, प्रौद्योगिकी विरोधी, कानूनी रूप से कमजोर, अनुचित, और गरीब विरोधी करार दिया।

जियो ने कहा कि आईयूसी पर ट्राई के मनमाने रवैये से रेगुलेटर की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा। साथ ही टेलीकॉम क्षेत्र में निवेशकों के भरोसे पर भी चोट लगेगी।

गौरतलब है कि जियो अब तक आईयूसी के लिए 13,500 करोड़ रुपये से ज्यादा दूसरी कंपनियों को दे चुकी है।

रिलायंस जियो ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के मुताबिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्च र देश के हर नागरिक का हक है, लेकिन आईयूसी को बनाए रखने की मंशा प्रधानमंत्री के इस विजन को चकनाचूर कर दिया है। कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर चाहते हैं कि पुराना पड़ चुका 2जी का नेटवर्क सदा बना रहे और देश के 47 करोड़ से ज्यादा ग्राहक जो 2जी नेटवर्क से जुड़े हैं डिजिटल क्रांति के फलों से वंचित रह जाएं। कंसल्टेशन पेपर जारी कर ट्राई इन टेलीकॉम ऑपरेटरों के निहित स्वार्थ को बचाए रखना चाहती है।

ट्राई को अपने जबाव में रिलायंस जियो ने कहा कि कुछ ऑपरेटरों के पास 2जी नेटवर्क से 4जी में अपग्रेड ना करने के अनेक बहाने हैं। लगता है वे जानबूझ कर ऐसा नही करना चाहते। वे अपने 2जी ग्राहकों का विभिन्न तरीकों से शोषण कर रहे हैं।

जियो ने कहा कि ये ऑपरेटर 2जी ग्राहकों से वॉयस कॉलिंग के पैसे वसूलते हैं, जबकि जियो के 4जी नेटवर्क पर यह फ्री है। खराब क्वालिटी और ऊंची कीमतों के डेटा की वजह से यह 2जी ग्राहक डिजिटल सोसाइटी का हिस्सा भी नहीं बन पाते। साथ ही प्रधानमंत्री के सपने ‘ईज ऑफ लिविंग’ यानी आराम से जीने का हक भी इससे बाधित होता है। ट्राई के कंसल्टेशन पेपर से उन ऑपरेटर्स को बल मिलेगा जो 2जी से 4जी में अपग्रेड करने में आनाकानी कर रहे हैं।

रिलायंस जियो ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा 18 सितंबर को आईयूसी पर जारी कंसल्टेशन पेपर का जवाब देते हुए कहा कि यह कंसल्टेशन पेपर जल्दबाजी में और बिना किसी सोच-विचार के जारी कर दिया गया है। ट्राई के ढुलमुल रवैये की वजह से अगर आईयूसी को समाप्त करने में देरी की गई तो यह फ्री वॉयस कॉलिंग व्यवस्था को खत्म कर देगा, जो ग्राहक के हक में नही होगा।