अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में चाय बागान श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 167 रुपये से बढ़ाकर 217 रुपये प्रतिदिन करने का फैसला किया गया है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि छोटे चाय श्रमिकों के लिए समान वेतन की सिफारिश के साथ प्रधान सचिव जे. बी. एक्का के अधीन एकल-व्यक्ति समिति का गठन किया जाएगा।
चाय श्रमिकों की दैनिक मजदूरी में वृद्धि कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के साथ असम में एक चुनावी मुद्दा है, जो पिछले कई वर्षों से जानबूझकर वेतन संशोधन में देरी के लिए भाजपा नीत सरकार की आलोचना कर रहा है।
मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले असम में चाय श्रमिकों की दैनिक मजदूरी को 350 रुपये तक संशोधित करने का वादा किया था।
जहां दक्षिणी असम में चाय बागान के श्रमिकों को प्रतिदिन 145 रुपये मजदूरी मिल रही है, वहीं राज्य के शेष क्षेत्रों में श्रमिकों को प्रति दिन 167 रुपये मिल रहे हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 फरवरी को चाह बगीचा धन पुरस्कार मेला योजना के तहत असम में 7,46,667 चाय बागान श्रमिकों में से प्रत्येक को 3,000 रुपये वितरित किए थे। योजना की तीसरी किश्त के तौर पर राज्य भर में चाय बागान श्रमिकों के 7,46,667 बैंक खातों में सीधे 3,000 रुपये हस्तांतरित होने के साथ 224 करोड़ रुपये की कुल राशि का वितरण किया जा चुका है।
इस योजना को असम सरकार ने 2017-18 में शुरू किया था और उस वर्ष 6,33,411 चाय बागान श्रमिकों को 2,500 रुपये प्रदान किए गए थे, जबकि अगले वर्ष 7,15,979 बैंक खातों में समान राशि जमा की गई थी।
असम में 850 चाय बागानों में काम करने वाले संगठित क्षेत्र में 10 लाख से अधिक चाय बागान श्रमिक हैं। राज्य में भारत के कुल चाय उत्पादन का 55 प्रतिशत उत्पादन होता है। चाय जनजाति समुदाय राज्य की 126 विधानसभा सीटों में से 30 से 35 सीटों पर खासा महत्व रखता है।
शनिवार की कैबिनेट की बैठक ने कामरूप में विश्व नवीकरण आध्यात्मिक ट्रस्ट को 10 बीघा जमीन आवंटित करने का फैसला किया गया। इसके अलावा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 8,000 व्हीलचेयर खरीदने की मंजूरी दी गई। असम में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
–आईएएनएस
एकेके/एएनएम