यह पत्र मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार बंद्योपाध्याय को उनकी सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन 31 मई को भेजा गया था।
हालांकि बंद्योपाध्याय के पत्र की पूरी सामग्री अभी तक ज्ञात नहीं है, उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि पूर्व मुख्य सचिव ने 28 मई को ममता बनर्जी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक को जल्दी छोड़ने की अपनी कार्रवाई का बचाव किया है।
सूत्रों ने कहा कि बंद्योपाध्याय ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि चूंकि राज्य की मुख्यमंत्री जो उनकी अधिकारी हैं, इसलिए उन्होंने उनके निर्देश पर वह जगह छोड़ दी।
उन्होंने कहा कि राज्य का मुख्य सचिव होने के नाते मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करना उनका कर्तव्य है।
बंद्योपाध्याय ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक बैठक के लिए दीघा रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री से अनुमति मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पीएमओ को अपने विस्तृत कार्यक्रम से अवगत करा दिया है और इसलिए किसी भी तरह से उन्हें केंद्र सरकार के आदेश के अनुपालन न करने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
बंद्योपाध्याय पर आरोप लगाया गया था कि प्रधानमंत्री, जो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अध्यक्ष भी हैं, द्वारा ली गई समीक्षा बैठक से खुद को दूर रखा। चक्रवात यास के बाद पश्चिम बंगाल राज्य में चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों के अपने दौरे का एक हिस्सा, पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव, अल्पन बंद्योपाध्याय ने केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने से इनकार कर धारा 51 (बी) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 का उल्लंघन किया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन प्रभाग से भेजे गए पत्र में तीन दिनों की अवधि के भीतर लिखित जवाब मांगा गया।
–आईएएनएस
एसजीके