राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया है कि प्रस्तावित संग्रहालय में रूस, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और भारत समेत कई देशों की कठपुतलियों के जरिए भी रामायण का प्रदर्शन किया जाएगा। यहां मधुबनी, अवध, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और श्रीलंका के व्यंजन पेश करने वाला एक किचन भी चलाया जाएगा।
रामायण संग्रहालय और संस्कृति केंद्र बनाने का विचार मुख्यमंत्री है और यह लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर लखनऊ से 54 किमी और अयोध्या से 64 किमी की दूरी पर लगभग 10 एकड़ जमीन पर आकार लेगा।
यहां देश की सभी शैलियों में हस्तशिल्प भी उपलब्ध होगा, जैसे टेराकोटा, कास्ट, धातु, पेपर माछ, कपड़े और पत्थर पर बनी चीजें प्रदर्शनी में रखी जाएंगी।
रामायण विश्व यात्रा विथिका में राम की संस्कृति को दर्शाया जाएगा जो कि दुनिया के सभी देशों में मौजूद है। इससे जुड़ी तस्वीरें, वीडियो दिखाए जाएंगे। केंद्र में लगातार राम चरितमानस का पाठ किया जाएगा।
परिसर में देशी और विदेशी पर्यटकों के ठहरने के लिए भी इंतजाम होंगे।
संस्कृति विभाग के निदेशक शिशिर ने कहा कि रामायण संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए भवानीपुर खेवली गांव में भूमि चिन्हित की गई है। इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) आईआईटी खड़गपुर द्वारा तैयार की जा रही है। परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 150 करोड़ रुपये है। वहीं इस केंद्र का संचालन अयोध्या शोध संस्थान द्वारा किया जाएगा।
–आईएएनएस
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