अयोध्या फैसला तथ्यों के ऊपर आस्था की जीत : ओवैसी (लीड-1)

 हैदराबाद, 9 नवंबर (आईएएनएस)| ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है, लेकिन अचूक नहीं है।

 उन्होंने अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसले को तथ्यों के ऊपर आस्था की एक जीत बताया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने आशंका व्यक्त की कि संघ परिवार कई अन्य मस्जिदों के मामलों में इस फैसले का उपयोग कर सकता है, जिस पर उनके दावे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सूची में मथुरा, काशी और लखनऊ की मस्जिदें शामिल हैं।

हैदराबाद के सांसद ने आगाह किया कि देश एक हिंदू राष्ट्र की राह पर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “संघ परिवार और भाजपा कह रहे हैं कि हिंदू राष्ट्र के लिए सड़क अयोध्या से शुरू होती है। वे अब एनआरसी, नागरिकता संशोधन विधेयक लाना चाहते हैं। वास्तव में मोदी 2.0 सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र बना देगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि का स्वामित्व हिंदुओं को दे दिया, जिसके बाद वहां राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अदालत ने फैसला सुनाया कि मुसलमानों को वैकल्पिक स्थल पर पांच एकड़ जमीन मिलेगी।

ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा कि जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया, उन्हें राम मंदिर बनाने के लिए जमीन सौंपी गई है। उन्होंने कहा, “अगर बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर, 1992 को ध्वस्त नहीं किया जाता, तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होता।”

उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि की पेशकश पर फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि उनका निजी विचार है कि इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हम कानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे थे। हमें खरात में पांच एकड़ भूमि की आवश्यकता नहीं है। मुसलमान गरीब हैं, कमजोर हैं और उनके साथ भेदभाव किया गया है। लेकिन वे अपने दम पर एक मस्जिद का निर्माण कर सकते हैं।”

सांसद ओवैसी ने बार-बार ‘सर्वोच्च लेकिन अचूक नहीं’ टिप्पणी का इस्तेमाल किया। दरअसल इसी शीर्षक के साथ भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जे. एस. वर्मा ने एक किताब लिखी थी।

ओवैसी ने कहा कि वहां एक मस्जिद थी, है और हमेशा रहेगी। उन्होंने कहा कि इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा, “हमारी पीढ़ी को बताएंगे कि मस्जिद 500 साल तक वहां खड़ी रही, लेकिन छह दिसंबर, 1992 को संघ परिवार और कांग्रेस की साजिश के तहत इसे ध्वस्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट को धोखा दिया गया।”

कांग्रेस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया के माध्यम से अपना असली रंग दिखाया है।

उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के शासन के दौरान ही हुआ था कि मूर्तियों को मस्जिद में रखा गया, उसके ताले खोले गए और मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया।