अफगान शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान कर रहा कूटनीतिक प्रयास

इस्लामाबाद, 13 सितंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान ने निलंबित पड़ी अफगान शांति वार्ता को फिर से पटरी पर लाने के कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए हैं। ऐसा इस आशंका के कारण किया जा रहा है कि 18 साल लंबे संघर्ष के बाद समझौता वार्ता के अभाव में गृहयुद्ध का एक नया दौर न शुरू हो जाए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अफगान समकक्ष अशरफ गनी और तालिबान नेताओं के साथ गुप्त बैठक रद्द कर दी थी, क्योंकि आतंकवादी समूह ने पिछले सप्ताह काबुल में एक आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें एक अमेरिकी सैनिक सहित 11 लोगों की मौत हो गई थी।

ट्रंप ने अफगान शांति वार्ता को भी बंद कर दिया। जबकि अमेरिका और तालिबान दोनों ने पहले कहा था कि इस मुद्दे का मार्ग प्रशस्त होगा। दोनों पक्षों के बीच पहले ही एक मसौदा समझौता हो चुका था। लेकिन कैंप डेविड में अचानक बातचीत रद्द होने से अब पूरी प्रक्रिया ही खटाई में पड़ गई है।

अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच नौ दौर की वार्ता को सुगम बनाने वाला पाकिस्तान गतिरोध के बारे में चिंतित है और इसने अब चुपचाप शांति समझौते से बचाव के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

दो वरिष्ठ अधिकारियों ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि पाकिस्तान मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने के लिए सभी हिस्सेदारों के संपर्क में है।

अधिकारियों ने कहा कि संबंधित पदाधिकारी शांति प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका के साथ ही कतर के साथ भी संपर्क बनाए हुए हैं।

माना जाता है कि अफगानिस्तान में हिंसा को कम करने व तालिबान को समझाने के लिए पाकिस्तान परिस्थिति का फायदा उठाना चाहता है।

अधिकारियों ने कहा, “हम सभी पक्षों से संयम दिखाने का आग्रह कर रहे हैं। अगर इस स्तर पर युद्धविराम की कोई संभावना नहीं है, तो सभी पक्ष कम से कम हिंसा के स्तर को कम करने की दिशा में काम कर सकते हैं।”

गुरुवार को साप्ताहिक समाचार ब्रीफिंग में पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मौहम्मद फैसल ने कहा कि इस्लामाबाद चाहता है, “सभी पक्ष संयम बरतें और हिंसा से बचें।”

फैसल ने कहा, “हमने बेहतर विश्वास के साथ एक साझा जिम्मेदारी के तौर पर अफगान शांति प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के साथ प्रोत्साहित किया है।”

प्रवक्ता ने पाकिस्तान के इस रुख को भी दोहराया कि अफगान संघर्ष का एकमात्र समाधान राजनीतिक रूप से बातचीत करना और इसके निपटारे के लिए खुद अफगानास्तिान को आगे आने की जरूरत है।