अंधश्रद्धा को छोड विज्ञान की ओर बढे – डॉ. जयंत नारलीकर

पुणे: स्वतंत्रता के ७० सालों के बाद भी भारतीय समाज अज्ञान और अधंश्रद्धा के दलदल में फसा हुआ है. विज्ञानमय युग में अगर युवा पीढी मन में ठान ले तो वे इस दलदल से सबको बाहर निकलकर देश का नजारा बदल सकते है. मुझे आशा है कि मेरे जिन्दा रहने तक यह देखने मिलेगा. ऐसे विचार भारतीय खगोल वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. जयंत नारलीकर ने ‘भारत अस्मिता तंत्र-विज्ञान श्रेष्ठ पुरस्कार’ स्विकारने के बाद रखे.

एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, भारत अस्मिता फाउंडेशन तथा एमआइटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के संयुक्त तत्वावधान में अयोजित ‘भारत अस्मिता राष्ट्रीर पुरस्कार’ प्रदान समारोह में प्रबंधन शिक्षक तथा सलाहकार रमा बिजापूर को ‘भारत अस्मिता आचार्र श्रेष्ठ पुरस्कार’. भारतीय युवा कांग्रेस के पूर्वाध्यक्ष तथा हिंगोली के सांसद राजीव सातव को ‘भारत अस्मिता जनप्रतिनिधी श्रेष्ठ पुरस्कार’, पं. राजन व पं. साजन मिश्रा को ‘भारत अस्मिता जन-जागरण श्रेष्ठ पुरस्कार’ तथा मनोज जोशी को ‘भारत अस्मिता जन-जागरण श्रेष्ठ पुरस्कार’, से नवाजा गया. पुरस्कार के रूप में उन्हें स्मृतिचिन्ह तथा सम्मानपत्र प्रदान किए.

यह पुरस्कार कम्प्यूटर विशेषज्ञ तथा नालंदा विश्‍वविद्यालय के कुलपति पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर, एमआइटी विश्‍वशांति विश्‍वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष प्रा. डॉ. विश्‍वनाथ दा. कराड और न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टिम प्रा.लि.के अध्यक्ष नानिक रूपानी के हाथों प्रदान किए गए.

डॉ. नारलीकरने कहा, पं.जवाहरलाल नेहरू को स्वतंत्रता के पूर्व ऐसा लगता था कि, स्वतंत्रता के बाद हम विज्ञाननिष्ठ समाज का निर्माण करे. प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उन्होंने कई ठोस कदम उठाए. लेकिन देश में पुरानी रूढी और अवैज्ञानिक परंपरा पर जीत हासिल कर नही सके. सही अर्थ में देखा जाए तो यह जिम्मेदारी सबकी है, विशेषता सुशिक्षित युवाओं की है. लेकिन वह भी इसी के अधिन होते हुए दिखाई दे रहे है.

डॉ. विजय भटकर ने कहा, देश को अध्यात्म की परंपरा है. इसलिए यहां १४ विद्या और ६४ कलाओं को महत्व है. शुरूआत से इस देश को ज्ञान की परंपरा के साथ यहां अद्धितीय संस्कृति है. इसलिए सारी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए भारत अहम भूमिका निभाऐगा.

रमा बिजापूरकरने कहा, सबसे बडी गुरू दक्षिणा शिष्य को मिले ज्ञान में लगातार उन्नती करना है. जिसके लिए उसे ज्ञान के प्रति उत्सूक रहना होगा. नविनता के ध्यास के साथ हर कार्य को अंजाम देने के लिए लगातार कोशीश करनी होगी. इसके लिए उसे क्रियाशील रहना महत्वपूर्ण है.

राजीव साताव ने कहा, सैम पिट्रोडा और डॉ.विजय भटकर ने इस देश में कम्प्यूटर और डिजीटल क्षेत्र में क्रांति लाते हुए देश में परिवर्तन की लहर लाई. इस देश को आगे ले जाने के लिए  हर एक युवा को किस न किसी पार्टी में शामिल होना चाहिए. इसी दृष्टी से युवाओं ने मन में ठान लेने पर यह देश हर क्षेत्र में उंचाई पर पहुंचेगा.

मनोज जोशी ने कहा, शिक्षक साधारण नही होता है उसकी गोद में निर्माण और प्रलय दोनो खिलते है. भारत भूमि में राष्ट्र सेवा से अधिक महत्वपूर्ण और बडी बात अन्य कोई नही है. इसलिए राजनीति में नीति यह शब्द उचित है. जिसमें कल्याण और दंड जैसी बाते समाविष्ठ है.

पं. राजन व पं. साजन मिश्रा ने कहा, भारतीय शिक्षा पद्धतिसे प्रतियोगिता को खत्म करने पर मेधावी एवं प्रतिभाशाली लोग सामने आएंगे. प्रकृति कॉस्मीक एनर्जी को हर समय आगे ले आती है. शिक्षक हर समय ज्ञान से परिपूर्ण करता है तथ अच्छे मार्ग पर चलने की नसियत देता है. लेकिन गुरू आपके अहंकार को छिनकर गीली मिट्टी बनकर आपको उचित आकार में ढालता है.

प्रा. डॉ. विश्‍वनाथ दा. कराड ने कहा, नई पीढी को दिशा देने का कार्य भारतीय संस्कृति के जरिए हो रहा है. विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से निर्माण होने वाली पीढी के माध्यम से भारत देश विश्‍व गुरू बनेने में समय नहीं लगेगा. २१वीं सदीं में भारत विश्‍व में ज्ञान का दालन बनकर उभरकर वह विश्‍व को शांति की रहा दिखाएगा. भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार के माध्यम से भारतीय युवाओं में अस्मिता जगाने का हमारा यह प्रयास है.

नानिक रूपानी ने कहा, भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार की बजाए प्राईड ऑफ इंडिया शब्द उचित अर्थ में है. क्योंकि यहां जिनका सम्मान हो रहा है वह देश की महान विभूतियां है. विश्‍व शांति के लिए एमआइटी के जरिए चलाए जा रहे उपक्रम अद्वितिय है.

प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड ने अपनी प्रस्तावना में पुरस्कार की भूमिका रखी. सूत्रसंचालन प्रा. गौतम बापट तथा डॉ.सायली गणकर ने आभार माना.

इस मौके पर विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार  डॉ. चंद्रकांत पांडव, एमआइटी के अधिष्ठाता प्रा. शरदचंद्र दराडे पाटिल, एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी के कार्याध्यक्ष तथा भारत अस्मिता फाउंडेशन के समन्वयक प्रा. राहुल विश्‍वनाथ कराड, एमआइटी एडीटी विश्‍वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. डॉ. मंगेश तु. कराड, एमआइटीडब्ल्यूपीयू के कुलसचिव प्रा.डी.पी.आपटे, एमआइटीडब्ल्यूपीयू के मैनेजमेंट (पीजी) की अधिष्ठाता प्रा.डॉ. सायली गणकर, एमआइटीडब्ल्यूपीयू के मैनेजमेंट (यूजी) के डॉ. आर.एम.चिटणीस, एमआइटी के प्राचार्य डॉ. एल.के.क्षीरसागर आदि मान्यवर उपस्थित थेे.