अंतर्राष्ट्रीय कृषि सांख्यिकी सम्मेलन में शिरकत करेंगे बिल गेट्स

नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)| दुनिया के धनकुबेरों में शीर्षस्थ बिल गेट्स देश की राजधानी नई दिल्ली में सोमवार को शुरू हो रहे आठवें अंतर्राष्ट्रीय कृषि सांख्यिकी सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। भारत पहली बार इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज कारोबारी बिल गेट्स इस मौके पर कृषि क्षेत्र में डाटा के महत्व और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से होने वाले फायदे पर अपने विचार साझा कर सकते हैं।

चार दिवसीय इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर करेंगे। इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी विशिष्ट अतिथि होंगे।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए), आईएसआई-कास, यूरोस्टेट, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के साथ-साथ कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठन हिस्सा ले रहे हैं।

कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, सम्मेलन में करीब 1,200 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे।

मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि इस सम्मेलन में एफएओ, यूएसडीए, यूरोस्टेट, एडीबी, एएफडीबी, विश्व बैंक और दुनियाभर के 60 से अधिक देशों के करीब 200 प्रतिनिधियों समेत विभिन्न संगठनों के कुल 600 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में देश-विदेश के कृषि वैज्ञानिक कृषि सांख्यिकी के महत्व पर विचार-विमर्श करेंगे।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव त्रिलोचन महापात्र ने पिछले सप्ताह इस सम्मेलन के संबंध जानकारी देते हुए कहा, “इस सम्मेलन में देश के युवा वैज्ञानिकों और शिक्षकों को विदेश से आने वाले कृषि विशेषज्ञों के साथ बैठकर चर्चा करने का मौका मिलेगा। विदेशों में कृषि सांख्यिकी, आंकड़ों के विश्लेषण और उसका उपयोग करने को लेकर जो कार्यक्रम चल रहा है, उसकी जानकारी उन्हें मिलेगी और छात्रों को शोध में इससे काफी मदद मिलेगी और शिक्षकों को शिक्षण कार्य में मदद मिलेगी।”

उन्होंने कहा, “विदेशों में डाटा विज्ञान पर जो शोध हो रहा है, उसकी जानकारी मिलेगी। इससे हमें शोध में भी मदद मिलेगी।”

महापात्र ने कहा, “हमारे देश में पहले कभी इस सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ था और सांख्यिकी के क्षेत्र में हमारे देश के कई विशेषज्ञों ने विदेशों में और एफएओ में अपना योगदान दिया है। लिहाजा, विश्व के साथ जुड़कर काम करने से हमें उसी तरह का लीडरशिप मिल सकता है।”