न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के आदेश पर विचार करते हुए, भारत 10 करोड़ रुपये के मुआवजे के लिए सहमत हो गया है । इटली ने इसे जमा कर दिया है, जिसे शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में स्थानांतरित कर दिया गया है।
पीठ ने कहा, हम पहले से अधिक दिए गए मुआवजे और अनुग्रह राशि से संतुष्ट हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत भारत में सभी कार्यवाही को बंद करने के लिए एक उपयुक्त मामला है।
बेंच ने कहा कि ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार, इटली नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही फिर से शुरू करेगा। शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को 10 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का आदेश दिया, जिसमें से दो पीड़ितों के परिवारों को 4-4 करोड़ रुपये और नाव मालिक को 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है।
पीठ ने कहा कि पीड़ितों के कानूनी वारिसों को मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट को एक न्यायाधीश की नियुक्ति करनी चाहिए।
ट्रिब्यूनल के आदेश का हवाला देते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि इटली दो नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकता है और सबूत के साथ मामले का विवरण केंद्र और केरल सरकार उसे प्रदान करेगी।
फरवरी 2012 में, भारत ने भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में मछली पकड़ने के जहाज पर सवार दो भारतीय मछुआरों की हत्या करने के लिए दो इतालवी नौसैनिकों सल्वाटोर गिरोन और मासिमिलियानो लातोरे को गिरफ्तार किया था।
गौरतलब है कि फरवरी 2012 को मिस्र जा रहे ऑयल टैंकर एनरिका लेक्सी में सवार इटली मरीन के जवानों ने केरल के दो मछुआरों को गहरे समुद्र में गोली मार दी थी। बताया जाता है कि मरीन को शक था कि ये लोग समुद्री लुटेरे हैं। जब इंडियन कोस्ट को इसकी जानकारी मिली तो तुरंत कार्रवाई करते हुए केरल पुलिस ने दोनों इतालवी नौसैनिकों को गिरफ्तार कर लिया और मामला अदालत में था।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पिछले साल अगस्त में केंद्र से कहा था कि वह पीड़ितों के परिवारों को सुने बिना दोनों नौसैनिकों के खिलाफ मामले को बंद करने पर कोई फैसला नहीं सुनाएगा।
–आईएएनएस
एकेके/आरजेएस
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