नीतीश ने गुरुवार को तीन कृषि कानूनों के समर्थन में कहा कि वह सरकार के साथ हैं और कानून किसानों के हित के लिए हैं न कि उनके खिलाफ।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आंदोलन खत्म करने के लिए किसानों के साथ बातचीत करने का सही रास्ता अपनाया है।
पिछले साल नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी।
मोदी से मिलने के बाद नीतीश ने मीडिया से कहा, कृषि कानूनों का उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना है और ये उनके खिलाफ नहीं हैं।
कानून वापसी की मांग के साथ पिछले साल 26 नवंबर से ही विरोध कर रहे किसानों के बारे में सवाल पूछे जाने पर नीतीश ने कहा, हम सरकार के साथ हैं और सरकार ने बातचीत करके सही रास्ते का विकल्प चुना है।
उन्होंने कहा कि वह जल्द ही समाधान निकाले जाने के प्रति आशान्वित हैं।
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी की मांग भी कर रहे हैं। इससे पहले, सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, मगर कोई हल नहीं निकला।
नीतीश से एक अन्य सवाल पूछा गया कि जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर कोई चर्चा हुई या नहीं, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा, मंत्रिमंडल पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
उन्होंने एक फरवरी को संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट की भी सराहना की और कहा, कोविड महामारी के प्रभाव के बावजूद बजट बहुत अच्छा है।
उन्होंने कहा, बल्कि हम राज्य में एक अच्छा बजट लाएंगे।
जदयू नेता ने कहा कि उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के विकास पर भी चर्चा की, क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों से बहुत सारे वादे किए गए।
हालांकि, उन्होंने चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जो पिछले साल से जदयू पर बार-बार हमला कर रही है।
–आईएएनएस
एकेके/एसजीके
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