शिक्षक वर्गीकरण का विवादित प्रस्ताव अधर में लटकने के आसार

131 शिक्षकों से 8- 8 लाख रुपए लेने का लगा था गंभीर आरोप
पिंपरी। समाचार ऑनलाइन – प्रति शिक्षक आठ लाख रुपए वसूले जाने जैसे आरोपों के चलते विवादों में रहे जिला परिषद के 131 शिक्षकों के वर्गीकरण का प्रस्ताव अधर में लटकने के आसार नजर आ रहे हैं। मनपा के सेवा नियमों में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं रहने की जानकारी सामने आई है। विपक्ष के विरोध को ताक पर रखते हुए सत्तादल भाजपा द्वारा बहुमत के जोर पर पारित किए गए वर्गीकरण के प्रस्ताव की कड़ी जांच की जा रही है। वहीं वर्गीकरण के लिए राज्य सरकार की पूर्वानुमति आवश्यक रहने की बात भी सामने आई है।
पिंपरी चिंचवड मनपा की शिक्षा समिति व सर्व साधारण सभा ने पुणे जिला परिषद के शिक्षा विभाग के 131 शिक्षकों को मनपा की सेवा में वर्ग करने का प्रस्ताव पारित किया है। दोनों ही सभाओं में इस प्रस्ताव पर विपक्षी दलों ने कड़ा ऐतराज जताया। यहां तक कि वर्गीकरण के लिए एक-एक शिक्षक से आठ- आठ लाख रुपए लिए जाने जैसे गंभीर आरोप भी सत्तादल पर लगाए गए। हालांकि विपक्ष के विरोध को ताक पर रख भाजपा ने बहुमत के बल पर यह प्रस्ताव पारित किया। मगर विपक्ष के सदस्यों ने बिना पूरी जांच- पड़ताल के इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर न करने की मांग मनपा आयुक्त श्रावण हार्डीकर से की।
खुद मनपा आयुक्त हार्डीकर ने भी बिना पूरी जांच के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर या अमलबाजी न करने की भूमिका अपनायी। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, प्रशासन द्वारा वर्गीकरण के प्रस्ताव की जांच- पड़ताल की जा रही है। इसमें कई त्रुटियां पायी गई है। मूलतः मनपा सेवा नियमों व शर्तों में वर्गीकरण का कोई प्रावधान ही नहीं है। ग्रामविकास और नगरविकास विभाग का ऐसा कोई पहले का अध्यादेश भी उपलब्ध नहीं हो सका है। आकृतिबन्ध में भी कोई प्रावधान नहीं है। अपवादात्मक परिस्थितियों में पूरी जांच- पड़ताल के बाद राज्य सरकार से मंजूरी ली जाती है। हालांकि एक साथ 131 शिक्षकों के वर्गीकरण के प्रस्ताव को सरकार से मंजूरी मिलेगी, इसमें संदेह है। आयुक्त के इस स्पष्टीकरण से वर्गीकरण का विवादित प्रस्ताव अधर में लटकने के आसार नजर आ रहे हैं।