जानें हाथी से पहले क्या था बसपा का चुनाव चिह्न

मुंबई : समाचार ऑनलाइन – बसपा सुप्रीमो मायावती 1989 में पहली बार हाथी चुनाव चिन्ह लेकर बिजनौर के सियासी मैदान में उतरीं और यहीं से जीत हासिल कर वह पहली बार सांसद बनीं। इसके बाद से ही बसपा का चुनाव चिह्न हाथी बना। 14 अप्रैल 1984 को बसपा का गठन हुआ। इस वक़्त बसपा का चुनाव चिह्न हाथी नहीं था।

दरअसल बसपा को पांच साल में हुए चुनाव में कहीं पर जीत हासिल नहीं हुई थी। जिसके बाद बसपा ने अपना चिह्न हाथी बनाया। बता दे कि शुरुवात में बसपा का चुनाव चिह्न हाथी नहीं बल्कि चिड़िया था। बसपा की स्थापना 14 अप्रैल 1984 को कांशीराम ने की थी। स्थापना से पहले कांशीराम ने पूरे देश की यात्रा की और फिर 1978 में वामसेफ और फिर डीएस-4 नाम से संगठन से बनाया। उसके बाद बसपा का गठन हुआ। बसपा का गठन होने के बाद पहले उन्हें चुनाव चिन्ह के रूप में चिड़िया मिली थी, लेकिन इस चिन्ह पर उन्हें कोई जीत हासिल नहीं हो सकी। मायावती पहली बार 1989 में हाथी चुनाव चिह्न लेकर बिजनौर से जीती थी। इसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग से हाथी सिंबल की डिमांड की और आयोग ने उन्हें चुनाव चिन्ह के रूप में हाथी अलॉट कर दिया।

बसपा का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव वाला रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक 27.20 फीसदी मत बसपा को मिले थे और सबसे अधिक 20 सीट पर जीत हासिल की थी। इसके पांच साल बाद ही 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा को मिला मत प्रतिशत घटकर 19.77 रह गया और इस चुनाव में पार्टी एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी।