विलास मडिगेरी के हाथ आयी तिजोरी की चाबियां

पिंपरी : समाचार ऑनलाइन – ऐन मौके पर पत्ता कटने से बगावत का परचम लहराए जाने से स्थायी समिति सभापति चुनाव को लेकर रही सारी उत्सुकता गुरुवार को समाप्त हो गई। चुनाव से एक दिन पहले ही पिंपरी चिंचवड मनपा के सत्तादल भाजपा के बागी शीतल उर्फ विजय शिंदे के तेवर ठंडे पड़ गए। आज चुनाव में उन्होंने अपना नामांकन पत्र वापस लिया। इसके चलते भाजपा प्रत्याशी विलास मडिगेरी और राष्ट्रवादी कांग्रेस के मयूर कलाटे के बीच सीधी टक्कर हुई जिसमें मडिगेरी ने बाजी मार ली।

गत सप्ताह स्थायी समिति सभापति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया गया। भाजपा के शहराध्यक्ष और विधायक लक्ष्मण जगताप ने फिर एक बार धक्का तंत्र अपनाते हुए वरिष्ठ नगरसेवक विलास मडिगेरी को प्रत्याशी घोषित किया। एक बार फिर ऐन मौके पर शीतल शिंदे का पत्ता कट जाने से उन्होंने बगावत का परचम लहराया और शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस की मदद लेकर नामांकन दाखिल किया है। इससे चुनाव के नतीजे को लेकर भारी उत्सुकता थी। उनके अलावा राष्ट्रवादी की ओर से मयूर कलाटे ने नामांकन दाखिल किया।

सत्तादल भाजपा की कोर कमेटी ने ज्यादा सदस्यों को मौका देने के लिहाज से स्थायी समिति सदस्यों का कार्यकाल दो की बजाय एक साल किया। इसके अनुसार बीते साल ड्रॉ से बचे चार सदस्यों के इस्तीफे लिए और उनकी जगह नए सदस्यों की नियुक्ति की गई। इस साल मात्र इस नीति को तिलांजलि दी गई। विलास मडिगेरी का एक साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी उन्हें सभापति पद की उम्मीदवारी दी गई। इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए शीतल शिंदे ने बगावत का परचम लहराया था। उनके पास राष्ट्रवादी कांग्रेस के चार, शिवसेना के एक और खुद उनका अपना मिलाकर छह वोट भी थे। मगर वरिष्ठ स्तर पर उनकी बगावत की गंभीर दखल ली गई। पार्टी ने अपना फैसला बदलने से मना कर दिया, जिसके चलते शिंदे को नामांकन वापस लेना पड़ा। इसके चलते भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी विलास मडिगेरी की जीत का रास्ता आसान बना।

एहतियात के तौर पर सभागृह नेता एकनाथ पवार ने स्थायी समिति के सभी सदस्यों को व्हिप जारी किया था। शिंदे के नामांकन वापसी के बाद मैदान में मडिगेरी और राष्ट्रवादी कांग्रेस के मयूर कलाटे रह गए थे। सभागृह नेता एकनाथ पवार और अन्य सत्तादल के नेता राष्ट्रवादी से यह चुनाव निर्विरोध कराने की कोशिशों में जुटे रहे। हालांकि उनकी कोशिशें नाकाम रही। इसके चलते मडिगेरी और कलाटे के बीच सीधी टक्कर हुई। इसमें मडिगेरी ने 8 वोटों से बाजी मार ली। शिवसेना के राहुल कलाटे ने भी गठबंधन धर्म का पालन करते हुए भाजपा को वोट दिया। विभागीय आयुक्त के प्रतिनिधि के तौर पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सूरज मांढरे ने इस चुनाव ने निर्वाचन अधिकारी की भूमिका निभाई। इस तरह से मनपा के तिजोरी की चाबियां मडिगेरी के हाथ आयी।