बंद होने की कगार तक पहुंचे जेट एयरवेज की दर्दनाक दास्ता

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – लंबे समय से कर्ज में डूबे होने की वजह से चर्चा के केंद्र में रहे जेट एयरवेज के भविष्य पर संकट के काले बादल मंडरा रहे हैं। कभी सबसे मजबूत एयरलाइन माने जाने वाले जेट एयरवेज ने 18 अप्रैल तक के लिए अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को रद्द कर दिया है। मामला यहां तक पहुंच गया है कि पायलटों को सैलरी तक नहीं मिल पा रही है। कर्जदाता भी संकट की इस घड़ी में जेट एयरवेज को बाहर निकालने के लिए सामने आने से बच रहे हैं।

2002 में देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन बनने वाली जेट एयरवेज की विमान किसी भी वक्त ठप हो सकती है। लेकिन सवाल ये है कि 90 दशक के सबसे चर्चित जेट एयरवेज की इस दुर्दशा की वजह क्या है? इस रिपोर्ट में देखिए जेट के उड़ान से क्रेश तक की कहानी।
जेट एयरवेट की ऊंची उड़ान

इस 1993 में एक ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले शख्स नरेया गोयल ने दो बोइंग 737 के साथ जेट एयरवेज की शुरुआत की थी। देश की पहली प्राइवेट एयरलाइन जेट एयरवेज का उद्घाटन जेआरडी टाटा ने किया। इस उद्घाटन के बाद नरेश गोयल एविएशन सेक्टर के चर्चित ब्रांड बन गए। कई सालों तक आसमान में जेट एयरवेज की उड़ान सबसे तेज रही।

इसी बीच 2006 में जेट एयरवेज ने सहारा एयरलाइन को लगभग 2,250 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इस डील में जेट एयरवेज के बेडे में 27 एयरक्राफ्ट और अंतर्राष्ट्रीय रूट भी मिल गए। लेकिन यह सौदा महंगा पड़ा। यही से जेट एयरवेज के पतन की कहानी शुरू हुई। वर्ष 2008 में वैश्विक मंदी भी जेट एयरवेज के पतन की वजह बनी। जेट एयरवेज को विदेशी फंडिंग मिलनी बंद हो गई।

इस बीच घरेलू विमान कंपनियों कॉम्पिटीशन शुरू हो चुका था। स्पाइसजेट, इंडिगो, विस्तारा जैसी कंपनियों के बीच लो-फेयर प्राइस वार छिड़ गया। तब जेट एयरवेज का ध्यान इंटरनेशनल मार्केट में विस्तार पर था। कंपनी ने घरेलू मार्केट को एक तरह से नजरअंदाज कर दिया। हालांकि बाद में जेट एयरवेज भी लो-फेयर प्राइस वार में कूंद पड़ा लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। सस्ता हवाई सेवा वाली इंडियों की सबसे बड़ी कॉम्पिटटर बन गई। लेकिन बाद में जेट एयरवेज ने अपने किराये कम कर दिया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
किंगफिशर के डूबने का फायदा नहीं उठा पाई जेट

किंगफिशर एयरलाइन के बिगड़े हालात की वजह से दूसरी विमानन कंपनियों के पास अपने विस्तार का शानदार मौका था। इस मौके को इंडिगो ने बेड़ा बढ़ाकर जबर्दस्त तरीके से भुनाया। लेकिन जेट एयरवेज ने इसकी उपेक्षा की। इसके अलावा विमान की ईंधन (एटीएफ) की कीमत में बढ़ोतरी का नुकसान भी जेट एयरवेज को हुआ।
एतिहाद की मदद लेने को मजबूर हुए

वर्ष 2012 में जेट एयरवेज पर 11,200 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया।खराब हालात में जेट एयरवेज को खाड़ी देश की एयरलाइन इतिहाद से सहारा मिला। एतिहाद ने जेट एयरवेज के 24 फीसदी शेयर खरीद लिए। इस रकम से जेट एयरवेज को कर्म कम करने में मदद मिली। लेकिन हालाज में ज्यादा सुधार नहीं हुआ था। इन सभी स्थिति के कारण जेट एयरवेज भारी कर्ज और बढ़ते घाटे की चपेट में आ गया। किराया नहीं चुकाने की वजह से जेट एयरवेज की उड़ाने रद्द होने लगी। इतना ही नहीं कर्मचारियों की सैलरी के लिए भी कंपनी के सामने संकट खड़ा हो गया।हालात ये हो गए कि पिछले महीने जेट एयरवेज के को फाउंडर नरेश गोयल को पत्नी इस्तीफा देना पड़ा। फिलहाल एसबीआई की आगुवाई में बैंकों के पास जेट एयरवेज का नियंत्रण है।