इंटरनेट ने इन दो गांवों की बदली तस्वीर, बढ़ी आमदनी, आई खुशियां

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – इंटरनेट आज हर किसी के लिए जरुरत बन चूका है। इसके बढ़ते कदम ने सबको हैरान कर के रख दिया है। भारत के दो गांवों के लोगों की जिंदगी इस इंटरनेट ने बदल के रख दी। उनका लाइफलाइन, आमदनी सारी चीज़ों में बदलाव हुआ। यूपी के मेरठ के गांव और उत्तराखंड के चमोली गांव के लोगों ने इंटरनेट का कभी नाम तक नहीं सुना था, लेकिन आज यह उनके लिए जीने का साधन बन चुका है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन गांव के किसानों खेती करने के नई-नई तकनीकों के बारे इंटरनेट से पता करते है। अब्बासी नामक किसान के अनुसार, उनके बच्चे इंटरनेट से देखकर उन्हें खेती के बारे में नई चीजें बताते हैं। उसे नहीं पता था कि गेहूं की फसल में कितना कीटनाशक और खाद डालना चाहिए। उन्होंने समय के साथ अनुभव होने पर सीखा था, लेकिन उसके बेटे ने इंटरनेट पर चेक करके बताया कि वह जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते है। अब वह मात्रा कम कर दी है। इसके साथ ही अब उन्हें इंटरनेट पर बाजार की असल कीमतों के बारे में पता चल जाता है। गांव वाले सिर्फ जानकारी नहीं, सुविधाओं और मनोरंजन के लिए भी इंटरनेट का इस्तेमाल करना सीख गए है। विडियो कॉलिंग, गूगल मैप्स, नेट बैंकिंग और यूट्यूब विडियोज, हर चीज का इस्तेमाल किया जाता है।

इंटरनेट ने बदला पढ़ाई व्यवस्था –
बच्चे कठिन सब्जेक्ट्स को पढ़ने के लिए यूट्यूब की मदद लेते हैं तो बड़े देश-दुनिया की खबरों से अपडेट रहने के लिए न्यूज वेबसाइट्स के साथ ही फेसबुक और ट्विटर का भी सहारा लेते हैं। हालांकि, उन्हें यह पता है कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज भी खूब चलती है, इसलिए हर विडियो या मेसेज का विश्वास करने से बचते हैं। अभी तक स्लो कनेक्टिविटी के कारण गांववालों को इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए इंतजार करना पड़ा था लेकिन अब इंटरनेट की मदद से वे बदलते वक्त के साथ कदम मिला पा रहे हैं।

इंटरनेट ने बदली गांव की तस्वीर –
अजय भट्ट नामक एक शख्स ने उत्तराखंड के चमोली के जोशीमठ स्थित मारवाड़ी गांव के पहले होम स्टे के फाउंडर है। उनके छह रूम वाले होम स्टे की शुरुआत, अजय के अनुसार, मार्च 2009 में एक कनैडियन दंपती जोशीमठ घूमने आया। वह होम स्टे ढूंढ रहे थे, लेकिन यहां किसी ने ऐसा कोई शब्द पहले सुना नहीं था। हालांकि उनकी जिद थी कि वे होटेल में नहीं रुकेंगे। आखिर में मैंने अपने कमरों में से उनके लिए कुछ जगह बनाई। इसके बाद वे लोग वहां एक हफ्ते रुके और जब वे कनाडा लौट गए। हालांकि कुछ ही दिनों में अजय भट्ट के पास सैकड़ों ऐसे विदेशी पर्यटकों की कॉल आने लगीं जो होम स्टे की तलाश में थे न कि बड़े होटेल में रहना चाहते थे। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों बाद मेरे पास उसी कपल का कॉल आया और उन्होंने बताया कि उन्होंने हमारे लिए एक रिव्यू लिखा था जिससे उनके कुछ दोस्तों के कॉल आने लगे।

उनके अनुसार, उन्होंने ने कभी इंटरनेट के बारे में नहीं सुना था, लेकिन इलाके के कुछ दूसरे लोगों ने बताया कि मैं अपनी डीटेल्स ऑनलाइन पोस्ट कर सकता हूं और दुनिया के किसी भी कोने में बैठे लोग मुझे कॉल कर सकते हैं। मुझे जल्द ही एक कनेक्शन मिल गया, मैंने तीन और कमरे बनाए जिन्हें हिमालयन एबॉड नाम दिया। कुछ ही महीनों सभी रूम बुक हो गए।’