उपेक्षा से व्यथित हैं मोदी के प्रस्तावक छन्नूलाल मिश्र

वाराणसी, 13 मार्च (आईएएनएस)। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं. छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं। वह सुनिश्चित नहीं है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावक बनेंगे या नहीं। मिश्र 2014 के चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे थे और स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त नवरत्नों में से एक हैं।

मिश्र ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बुधवार को कहा है कि उनकी उम्र का वाराणसी में अब कोई शास्त्रीय गायक नहीं है, जो अभी भी संगीत के लिए पूरी तरह समर्पित है, लेकिन पूरा जीवन संगीत के लिए समर्पित करने के बावजूद कें द्र और राज्य की मौजूदा सरकारों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था।

छन्नूलाल मिश्र (83) स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नियुक्त नवरत्नों में से एक हैं। उन्हें और वाराणसी के लोगों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें भारत रत्न मिल सकता है, लेकिन जब पुरस्कारों की घोषणा हुई तो उनका नाम न तो भारत रत्न की सूची में था, और न पद्मविभूषण की सूची में ही।

छन्नूलाल भावुक मन से कहते हैं, “लोगों को लगता है कि मैं इन पुरस्कारों के लायक हूं, लेकिन देने वालों को नहीं लगा तो मुझे इसकी कोई इच्छा भी नहीं है। मेरी एक मात्र इच्छा मेरा संगीत और मेरा गायन है। मेरा एक शेर है -‘इलाही कोई तमन्ना नहीं इस जमाने में, मैंने सारी उम्र गुजारी है अपने गाने में’।”

किराना घराने के वाराणसी निवासी शास्त्रीय गायक ने कहा, “पद्मविभूषण तो कम से कम मिलना चाहिए था। लेकिन मैंने न तो कभी पुरस्कारों के लिए किसी से कहा है, और न कभी कहूंगा। किसी से क्यों मांगूं, मांगना होगा तो भगवान से मांगेंगे। मेरा संगीत, लोगों का प्यार ही मेरे लिए पुरस्कार है।”

ठुमरी गायक मिश्र ने कहा, “पद्मभूषण तो मिला है, टंगा हुआ है। कौन-सा लाभ मिल रहा है उससे। रेलगाड़ी में दो टिकट तो मिलता नहीं कि एक सहायक के साथ कहीं आ-जा सकूं इस बुढ़ापे में। सरकार से कहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। फिर पद्मभूषण, पद्मविभूषण का क्या मतलब। कहने को है बस।”

उल्लेखनीय है कि छन्नूलाल को 2010 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने पद्मभूषण से नवाजा था।

उन्होंने कहा, “दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित संगीत की बहुत प्रेमी और कद्रदान थीं। उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी संगीत के कद्रदान थे। दिल्ली में मैंने उनके सामने गाया था। उन्होंने पद्मभूषण की अनुशंसा कर दी, और मिल गया। अच्छा लगा था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी यश भारती पुरस्कार दिया था। मैंने उनसे कलाकारों को पेंशन देने के लिए कहा, अखिलेश ने 50,000 हजार रुपये पेंशन सभी कलाकारों के लिए शुरू कर दी। लेकिन नई सरकार आई तो पेंशन भी बंद हो गया। मैंने योगी आदित्यनाथ से कहा तो उन्होंने 25,000 रुपये पेंशन शुरू की, लेकिन अब मैं उसे भी नहीं लेता हूं।”

तो क्या इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वह मोदी का समर्थन करेंगे, उनका प्रस्तावक बनना चाहेंगे, या किसी दूसरी पार्टी का समर्थन करेंगे?

मिश्र ने कहा, “यह सवाल राजनीतिक है। मैं कलाकार हूं। मेरे लिए सभी पार्टियां समान हैं। मेरे पास जो भी आएगा, उसका स्वागत है। नरेंद्र मोदी पिछले चुनाव में मेरे पास आए थे। वह ईमानदार आदमी लगे थे। उन्होंने प्रस्तावक बनने के लिए कहा, मैंने स्वीकार कर लिया था। मैंने उनके लिए गाना बनाकर गाया, लोगों ने उन्हें वोट दिया और वह जीत गए। इस बार क्या होगा अभी कुछ तय नहीं है। समय आएगा, जब वह आएंगे, तब देखा जाएगा।”

वाराणसी में विकास को लेकर छन्नूलाल ने कहा, “सड़क, बिजली-पानी की व्यवस्था ठीक हो गई है। साफ-सफाई भी है, पहले 10 बजे तक झाड़ू नहीं लगता था, अब सुबह पांच बजे ही झाड़ू लग जाता है। बाकी चुनाव में क्या होगा, राम जाने।”